QR Code के जनक मसाहिरो हारा का फैसला जिसने बदली डिजिटल दुनिया

Wed 17-Dec-2025,12:22 AM IST +05:30

ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमारे Whatsapp Channel को Join करें |

Follow Us

QR Code के जनक मसाहिरो हारा का फैसला जिसने बदली डिजिटल दुनिया
  • संसद में सुधा मूर्ति ने QR Code के जनक मसाहिरो हारा का जिक्र कर बताया कि 1994 में बनाई गई यह तकनीक दुनिया के लिए मुफ्त रखी गई।

  • पेटेंट न कराने के फैसले ने QR Code को वैश्विक स्तर पर अपनाया जाने वाला टूल बना दिया, जिससे डिजिटल पेमेंट और ई-कॉमर्स को जबरदस्त बढ़ावा मिला।

  • भारत में UPI और डिजिटल लेनदेन की सफलता के पीछे QR Code की ओपन टेक्नोलॉजी को एक अहम कारण माना जा रहा है।

Delhi / Delhi :

नई दिल्ली/ हम रोज़मर्रा की ज़िंदगी में QR Code स्कैन करते हैं चाहे डिजिटल पेमेंट हो, टिकट बुकिंग या किसी वेबसाइट तक पहुंचना। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इस तकनीक के पीछे एक जापानी इंजीनियर का ऐसा फैसला था, जिसने पूरी दुनिया की डिजिटल अर्थव्यवस्था की दिशा बदल दी। संसद में हाल ही में राज्यसभा सांसद सुधा मूर्ति ने इसी कहानी का उल्लेख करते हुए QR Code के जनक मसाहिरो हारा (Masahiro Hara) को याद किया।

सुधा मूर्ति ने बताया कि 1994 में जापान के इंजीनियर मसाहिरो हारा ने QR Code का आविष्कार किया था। उस समय यह तकनीक मुख्य रूप से ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में पार्ट्स ट्रैक करने के लिए विकसित की गई थी। QR Code की खासियत यह थी कि यह पारंपरिक बारकोड की तुलना में कहीं अधिक जानकारी कम समय में पढ़ सकता था।

सबसे अहम बात यह रही कि मसाहिरो हारा ने इस तकनीक पर कभी पेटेंट नहीं कराया। उन्होंने इसे दुनिया के लिए मुफ्त और ओपन टेक्नोलॉजी के रूप में छोड़ दिया। यही फैसला QR Code की वैश्विक सफलता की सबसे बड़ी वजह बना। यदि इस पर पेटेंट होता, तो शायद आज QR Code हर मोबाइल फोन और हर दुकान तक नहीं पहुंच पाता।

सुधा मूर्ति ने संसद में कहा कि एक व्यक्ति के इस निर्णय ने डिजिटल पेमेंट सिस्टम, ई-कॉमर्स और ग्लोबल इकोनॉमी को नई रफ्तार दी। आज भारत में UPI, मोबाइल वॉलेट और ऑनलाइन ट्रांजैक्शन QR Code के बिना अधूरे माने जाते हैं। छोटे दुकानदार से लेकर बड़े कॉरपोरेट तक, QR Code ने सभी को डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ दिया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि QR Code की ओपन उपलब्धता ने इनोवेशन को बढ़ावा दिया। अलग-अलग देशों और कंपनियों ने इसे अपनी जरूरत के अनुसार अपनाया और विकसित किया। भारत जैसे देश में, जहां डिजिटल समावेशन एक बड़ी चुनौती थी, QR Code ने कम लागत में तकनीक को आम लोगों तक पहुंचाया। संसद में यह चर्चा केवल तकनीक तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह संदेश भी दिया गया कि ज्ञान और नवाचार को साझा करने से समाज और अर्थव्यवस्था दोनों आगे बढ़ते हैं। मसाहिरो हारा का यह फैसला आज भी वैश्विक तकनीकी सहयोग का एक प्रेरणादायक उदाहरण माना जा रहा है।